अनोखी किस्मत
अनोखी किस्मत
भाग 1
यह एक ऐसी लड़की की कहानी है। जो दस बारह साल की अवस्था में ही अनाथ हो जाए और अपने मामा मामी के पास पल रही होती है।
नमिता चारपाई पर बैठी स्वेटर बुन रही थी, वह जोर-जोर से अपनी भानजी को अवाज लगाते हुए अरे "राधिका कहां रह गई चाय- वाय मिलेगी या नही "?
राधिका बोली मामी जी "अभी लाती हूं ।"
राधिका चाय लेकर आती है, नमिता बोलती है तेरे मामा जी का फोन आया है ।शाम को उनके दोस्त का लड़का घर आ रहा है ,"कुछ अच्छा सा खाने के लिए बना देना। वह फौजी है और हमसे इतनी दूर से मिलने आ रहा है जब मैं छोटा था तभी मिली थी मैं उससे।"
अगर लड़का पसंद आ गया तो "मेरी चचेरी बहन है ना मीना उससे शादी की बात चलवानी है"
कुछ पैसे दे दीजिए।
मैं बाजार से कुछ सब्जियां खरीद लाती मामी बोली ठीक है
अब चली जा और सूरज ढलने से पहले जल्दी से सब्जियां लेकर लौटना शाम हो जाएगी। और देख कल सुबह और शाम के लिए अच्छी-अच्छी सब्जियां ले आना ।
राधिका बोली ठीक है मामी जी और इतना कहकर अपना दुपट्टा गले मै डाल थैला लेकर निकल पड़ी बाजार के लिए राधिका राधिका 18 साल की
रंग गेहुंआ, लंबे घने बाल लंबे घने बाल, गोल चेहरा
खूबसूरत लड़की ,जिसकी आंखें नीली समुद्र की गहराई लिए जिसमें से अथाह वेदना का सागर झलक रहा था।
झलके के भी क्यों ना?
बेचारी के मां-बाप उसको छोड़ कर मर गए और दुनिया में उसका कोई नहीं था, मामा मामी के साथ ही रहती थी।
ना तो वह पढ़ पाती थी बस उसकी मामी उससे हर समय काम ही करवाती उस पर जरा भी दया नहीं आती।
मां बाप के जाने के बाद बेचारी की पढ़ाई छूट गई जैसे-तैसे तो मामा- मामी घर में रखने को तैयार हुए थे मामी नमिता दिन भर ऐसे ही खटिया पर बैठे-बैठे राधिका को आदेश देती रहती है सर्दियों के दिन है । काम की तो जैसे फेहरिस्त खत्म होने पर नहीं आती।
राधिका बेचारी को को दो घड़ी के लिए भी आंगन में धूप नहीं सेंकने देती ।
अगर राधिका ना हो तो मामी के घर में मक्खियां भिनभिना जाए। उसने घर के कच्चे आंगन को गोबर से लीपकर सुंदर बना रखा है किनारे पर कुछ गुलाब के पौधे भी लगा दिए हैं उस मिर्ची और टमाटर के पौधे भी लगा रखे आंगन के बीच में एक तुलसी जी का चोरा है, जिसमें सुबह-शाम हर रोज वह दिया जलाती है वैसे तो नमिता के अपनी कोई औलाद नहीं है ।फिर भी वह राधिका की कदर नहीं करती ।
राधिका भी सब सुन लेती है उसे यह लगता है कि दुनिया में मामा मामी के अलावा और कोई भी तो उसका नहीं है अब राधिका बाजार पहुंच चुकी थी उसने कुछ हरी सब्जी गोभी, मटर वगैरह और पालक सरसों आदि खरीद लिया और घर की ओर चल दी।
तभी उसने महसूस किया, कि कोई उसका पीछा कर रहा है उसने पीछे मुड़कर देखा एक लड़का उसके पीछे चला आ रहा था उसने अपनी थोड़ी रफ्तार बढ़ा दी, परंतु थैला भारी होने के कारण वह ज्यादा तेज नहीं चल पा रही थी।
जैसे तैसे वह अपने घर पहुंची।वह अभी तुलसी के चौरे तक ही पहुंची थी, किसी ने दरवाजा खटखटाया । राधिका ने दरवाजे की दस्तक को अनसुना कर दिया और रसोई की तरफ चल दी इतने में उसकी मामी ने दरवाजा खोला ।
और खुश होते हुए भी अरे जसपाल तुम!
भीतर आओ ।
राधिका जसपाल आया है तुम "जरा पतीले में पानी गर्म होने को तो चढ़ा दो। हाथ मुँह धोलेगा ठंड बहुत है।"
तो राधिका रसोई में से बोली जी मामी जी अभी चढ़ाती हूं। उसकी मामी कहने लगी जल्दी से पालक और प्याज के पकोड़े बना ले। और हां चाय भी चढ़ा देना। ठीक है मामी और राधिका ने पूछा और कुछ तो नहीं।
अभी इतना कर ले और टमाटर हरा धनिया मिर्च दे देती
साफ करके सिल पर चटनी पीस देती तभी तो पकौड़े खाने का मजा आएगा । तेरे मामा भी आ रहे होंगे नमिता राधिका से कहने लग, देती हूं मामी!
और थोड़ी देर में राधिका ने स्नानघर में पानी गर्म करके रख दिया और बोली।
मामी पानी रख दिया है मेहमान से कहो कि हाथ पैर धो लें, मामी ठीक है। तब तक राधिका के मामा मोहनलाल भी आ गए थे।
उन्होंने भी अपने हाथ पाँव धोएं तब तक राधिका ने चाय गरमा गरम प्याज और पालक के पकोड़े टमाटर की चटनी के साथ परोसें।सब बातें करते हुए खाने लगे
गर्मा गर्म मूंगफली खाई।
2 घंटे के अंदर राधिका ने रात का खाना भी तैयार कर दिया ।आलू टमाटर की सब्जी आंवले की चटनी मिर्च का अचार और मेथी के गरमा गरम परांठे खाना खाने बैठे ।
जसपाल बोला "खाना तो बहुत ही स्वादिष्ट है।"
राधिका नजर नीचे करके मुस्कुराकर कर चली गई।
मोहनलाल जी खुश होते हूएबोले यह "मेरी भतीजी खाना बहुत ही अच्छा बनाती है।"
अगले दिन राधिका को जागने में थोड़ी देर क्या हो गई। नमिता ने राधिका की अच्छे से खबर लेनी शुरू कर दी। महारानी जी दिन चढ़ाया है कब तक सोओगी?
यह सब जसपाल ने भी देखा।
बस राधिका तो रोते हुए रसोई घर में चली गई उसने जल्दी-जल्दी सारे काम निपटा कर नाश्ता भी तैयार कर दिया और नमिता से बोली मामी "नाश्ता तैयार है। आप सब खा लीजिए "। नमिता बोली ठीक है ठीक है "आज तो देर कर दी तूने लेकिन कल से यह सब नहीं होना चाहिए"।
तभी मोहनलाल नमिता से बोलो "भाग्यवान! हमेशा क्यों बिटिया के पीछे पड़ी रहती हो दिन भर तो सारे काम में लगी रहती है।" बेचारी जागने में थोड़ी सी देर हो गई तो कौन सा आसमान टूट पड़ा । नमिता कहने लगी "जब इसकी शादी होगी ससुराल में तुम ही पैरवी करने चले जाना।"
मैं तो सिर्फ इतना कह रहा हूं छोटी सी जान सारा दिन घर संभालती है कभी कबार कोई गलती हो गई ,तो नजरअंदाज कर दिया करो।
ठीक है, राधिका बोली मामी नाश्ता बन गया है ,नाश्ता कर लो सब
आलू के पराठे, रायता,और हरी चटनी, गाजर का हलवा
सब ने खूब अच्छे से गरमा गरम नाश्ता किया।
राधिका ने भी वही आंगन में लगे हैंडपंप दो बाल्टी पानी भरा और अपने बर्तन साफ करने लगी। जसपाल भी धूप में बैठा अखबार पढ़ रहा था अखबार तो एक बहाना था वह अखबार की ओढ़ से राधिका को देख रहा था ।
एकाएक राधिका ने ध्यान दिया। जसपाल उसे ही देख रहा है
उसने जल्दी-जल्दी अपना काम खत्म किया और अंदर चली गई राधिका को जसपाल का ऐसे देखना अच्छा नहीं लगा लेकिन वह कहती भी तो किससे वह जानती थी कि उसको अपना समझने वाला कोई नहीं है। सुबह से लेकर सिर्फ काम में लगी रहती है शाम तक पढ़ाई लिखाई का तो पता नहीं उसकी जिंदगी कौन सा मोड़ लेने वाली थी उसके लिए तो सालो से कुछ नया नहीं था।
आगे का भाग जानने के लिए थोड़ा इंतजार कीजिए और मुझे आपके कीमती सिक्के और सुंदर सुंदर कमेंट उसका इंतजार रहेगा।।
Natasha
14-May-2023 07:29 AM
Nice mam title center me rahega to दिखने में और अच्छा लगेगा
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Gunjan Kamal
25-Apr-2023 07:04 AM
👏👌🙏🏻
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Abhinav ji
24-Apr-2023 09:50 AM
Very nice 👍
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